3170.*पूर्णिका*
3170.*पूर्णिका*
🌷 ना होली है ना रोली है🌷
22 22 22 22
ना होली है ना रोली है ।
ना रंगे ना रंगोली है ।।
निहत्थे मर जाते हैं देखो।
बंदूक यहाँ ना गोली है ।।
तनहा तनहा बस दुख झेलते।
ना कुछ भाषा ना बोली है ।।
सर पे छत ये फुटपाथ यहाँ ।
छोटा सा घर ना खोली है ।।
बेफ्रिक मौज मस्ती जग खेदू।
ना ही दामन ना चोली है ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-03-2024शनिवार