3167.*पूर्णिका*
3167.*पूर्णिका*
🌷 अंग से अंग लगाते🌷
212 22 22
अंग से अंग लगाते ।
रंग से रंग लगाते ।।
खुश यहाँ सारी दुनिया।
प्रेम का रंग लगाते ।।
महकती बगिया देखो।
फूल भी रंग लगाते ।।
हंसते गाते हरदम ।
जिंदगी रंग लगाते ।।
बदलते खेदू चाहत ।
हर खुशी रंग लगाते ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-03-2024शनिवार