3152.*पूर्णिका*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/abe6414a5e4ae55ee6674bead94f1831_fc46899e6a6b04b5e1437e9768e05cdb_600.jpg)
3152.*पूर्णिका*
🌷 अपना हितैषी जरूरमिलता है🌷
2212 212 2122
अपना हितैषी जरूर मिलता है ।
चाहों यहाँ जो जरूर मिलता है ।।
दुनिया नहीं बदलती आज किसकी।
देखो जरा वक्त जरूर मिलता है ।।
चमके सितारें यहाँ भाग्यशाली।
रौशन पल जहाँ जरूर मिलता है ।।
बढ़ते वही जो चले रख इरादा ।
संसार प्यारा जरूर मिलता है ।।
हारा नहीं जीतते रोज खेदू।
यूं साथ साथी जरूर मिलता है ।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-03-2024गुरुवार