3069.*पूर्णिका*
3069.*पूर्णिका*
🌷 प्रतिभा परिचय के मोहताज नहीं होती🌷
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प्रतिभा परिचय के मोहताज नहीं होती ।
जग में बिन जीते जंग ताज नहीं होती।।
यूं देखे सब अपने पराये दुनिया में।
कैसे साजे मन चाह साज नहीं होती ।।
सच मिलती मंजिल ठोकरों से दोस्ती है ।
तू संभल गिरती रोज गाज नहीं होती ।।
रौशन करते अब अंधकार यहाँ देखो।
कहना क्या कहने को अल्फाज नहीं होती ।।
बढ़ते हरदम हम प्यार से कहते खेदू ।
बोलो किसको कब आज नाज नहीं होती ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
03-03-2024रविवार