3047.*पूर्णिका*
3047.*पूर्णिका*
🌷 ये दुनिया खूबसूरत बन जाती है 🌷
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ये दुनिया खूबसूरत बन जाती है।
जब समर्पण त्याग मूरत बन जाती है ।।
चलते कोई बदल के राह यहाँ कुछ ।
सच में सब अलग फितरत बन जाती है ।।
सारी खुशियाँ मिले तो यूं साथ चलते।
जीने की रोज हसरत बन जाती है ।।
काम जहाँ नेकियों का करते हैं हम ।
अपनी हर चीज नुसरत बन जाती है ।।
हारी बाजी पलट देते हैं खेदू।
प्यारी-सी साज कुदरत बन जाती है ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
28-02-2024बुधवार