(3) मौसम बरसात का
मौसम की ठंडी फुहार,
दिल में ले आई बहार।
खुश हुआ पूरा आलम,
आ गया खुशियों का मौसम।
पूर्ण कायानाथ में आ गई बहार,
संसार का कोना कोना हो गया गुलजार।
मोर ने लगाई पिहु- पिहु की आवाज़,
पपीहा भी खुश हुआ क्योंकि उसे था ,
स्वांती बूंद का इंतजार।
पेड़ पोधों में छा गई हरियाली,
बाग बगीचों को हरा भरा,
देख खुश हुआ माली।
गर्मी की हो गई थी छुट्टी,
क्योंकि बादलों ने खोल दी थी मुठ्ठी।
कलियों पर भी था यौवन आया,
उन्होंने भी फूल बनकर था सारा आलम महकाया।
स्वयं रचित
Shutisha Rajput