3) “प्यार भरा ख़त”
ख़त को पकड़ा जो कलम के साथ
प्यार का नज़राना लिखने को मचला।
अहसास किया एक दिन,कुछ नया होगा..
पुराना छोर नया दोर,नई होगी भोर।
प्रफुल्लित होगा जहान..सोच ने सोचा,
जहान ने रोका।
चिंता को छोड़,प्यार की पकड़ी जो डोर,
फिर..किसी ने ना टोका।
बंद खुला द्वार तो रोशन हुआ झरोखा।
चमकती धूप का वह नजराना,
खिड़की से गुजरा तो खिल गया आशियाना।
संगीत बना कर्नफूल,
खिलता हुआ नूर,
अर्शु की बूँद,
जागती और जगाती
मानो जैसे सीप का हो मोती।
मुहब्बत ने राग छेड़ा, गीतों का हुआ बसेरा,
खिलता वं चमकता किरणों का ख़ुशनुमा सवेरा।
अंगड़ाई ने करवट ली,रात दिन में जागी।
लबों पर मुस्कराहट, मीठी सी सिंहर,
भली सी लागी।
मुहब्बत का यह ख़त, लफ़्ज़ों को दिल से जोड़ पाया,
बन गया एक साया,बंधन को तोड़ ना पाया।
सरमाया मुहब्बत का, दिल जान से लिख पाया,
आशा को उम्मीद बनाया, ख़त को डाक तक पहुँचाया।।
✍🏻स्वरचित/मौलिक
सपना अरोरा।