2937.*पूर्णिका*
2937.*पूर्णिका*
🌷 बिन बोले कोई भाव समझ जाएं 🌷
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बिन बोले कोई भाव समझ जाएं ।
दिल से दिल का अलगाव समझ जाएं ।।
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि सच ही जाने।
बातों बातों में घाव समझ जाएं।।
आजाद परिंदे का जीवन सुंदर ।
दुनिया शतरंजी दांव समझ जाएं ।।
बहते खून पसीना मिलती रोटी ।
इंसां धूप यहाँ छाँव समझ जाएं ।।
सबका रखते ध्यान हमेशा खेदू।एक नजर देख अभाव समझ जाएं ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-01-2024मंगलवार