2933.*पूर्णिका*
2933.*पूर्णिका*
🌷 बस धीमी आंच रहे🌷
22 22 22
बस धीमी आंच रहे।
मन अपना सांच रहे।।
दुनिया तो अलबेला ।
गहराई जांच रहे।।
सुंदर बुनियाद यहाँ ।
ये पत्थर न कांच रहे।।
हम सबसे प्यार करें ।
तीन कभी पांच रहे।।
चाहत पूरी खेदू।
झूम सभी नाच रहे ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
14-01-2024रविवार