Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2024 · 1 min read

2903.*पूर्णिका*

2903.*पूर्णिका*
🌷 काश दुनिया न होती
2122 122
काश दुनिया न होती।
आज जानम न रोती ।।

दर्द यहाँ सहन करते।
प्यार से तू न सोती ।।

जिंदगी की व्यथा क्या।
शान अपनी न खोती ।।

अलग अपनी कहानी ।
चाह हीरा न मोती।।

नेक है राह खेदू।
पाप गंगा न धोती ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार

51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
"अपेक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Today i am thinker
Today i am thinker
Ms.Ankit Halke jha
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
जिंदगी की उड़ान
जिंदगी की उड़ान
Kanchan verma
सबके राम
सबके राम
Sandeep Pande
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
Ravi Ghayal
💐प्रेम कौतुक-234💐
💐प्रेम कौतुक-234💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ऐसा क्यूं है??
ऐसा क्यूं है??
Kanchan Alok Malu
प्यारा भारत देश है
प्यारा भारत देश है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मेहनत और अभ्यास
मेहनत और अभ्यास
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तसल्ली मुझे जीने की,
तसल्ली मुझे जीने की,
Vishal babu (vishu)
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज्ञान-दीपक
ज्ञान-दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
सोच समझ कर
सोच समझ कर
पूर्वार्थ
अपने वजूद की
अपने वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
23/74.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/74.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
कोरोना का संहार
कोरोना का संहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
■ लानत ऐसे सिस्टम पर।।
■ लानत ऐसे सिस्टम पर।।
*Author प्रणय प्रभात*
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बच्चे थिरक रहे हैं आँगन।
बच्चे थिरक रहे हैं आँगन।
लक्ष्मी सिंह
हमने तो सोचा था कि
हमने तो सोचा था कि
gurudeenverma198
नई शुरुआत
नई शुरुआत
Neeraj Agarwal
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
Loading...