2902.*पूर्णिका*
2902.*पूर्णिका*
🌷 *मिलता है तकदीर से *
22 22 212
मिलता है तकदीर से ।
रहता कौन फकीर से।।
जीना मरना बस यहाँ ।
डरना क्या शमशीर से।।
दुनिया तो लेते मजा ।
न गरीब मन अमीर से।।
मन क्या है झलकते।
कुछ परखे न तस्वीर से।।
बोले खेदू सच यहाँ ।
बदले सब तदबीर से।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार