2853.*पूर्णिका*
2853.*पूर्णिका*
🌷 मन चंगा तो कठौती में गंगा🌷
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मन चंगा तो कठौती में गंगा ।
क्या पंगा और कैसे क्या दंगा।।
समय यहाँ कीमती है दुनिया में ।
ना खेलते रहे डंडा पचरंगा।।
कीमत है जिंदगी की यूं बेहद ।
न समझ जैसे जले कीट पतंगा।।
पाते मंजिल बहे खून पसीना।
अपना तो फहरता शान तिरंगा।।
ये फूल गुलाब का महके खेदू।
दुनिया रंगीन जीवन है रंगा।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-12-2023रविवार