2818. *पूर्णिका*
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2818. पूर्णिका
रहना तुम बिंदास यहाँ
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रहना तुम बिंदास यहाँ ।
मंजिल तेरी पास यहाँ ।।
दामन जिसने थामा है ।
करते पूरी आस यहाँ ।।
पूछे क्या है दिल में अब।
चलती जैसे सांस यहाँ ।।
मौका पे चौका मारे ।
बनते सच में खास यहाँ ।।
समझाते जीवन खेदू ।
दुनिया बनती दास यहाँ ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-12-2023बुधवार