2800. *पूर्णिका*
2800. पूर्णिका
सर ए जमीं रखता हूँ
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सर ए जमीं रखता हूँ ।
खुद पे यकीं रखता हूँ ।।
बदले नजारे देखो।
दिल में नमी रखता हूँ ।।
यूं ख्वाब देखे सुंदर।
कुछ ना कमी रखता हूँ ।।
बहते अश्कें आँखों से।
दुनिया हसीं रखता हूँ ।।
खुशबू खुशी दे खेदू।
वक्त हमनशीं रखता हूँ ।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
06-12-2023बुधवार