28 रागनी चंद लम्हों की या जिंदगानी मनजीत पहासौरिया
क्यूं ना रटता ॐ नाम नै , के बुध्दि मलिन तेरी बन्दे
चंद लम्हों की या जिंदगानी , तूँ तजदे हेरा फेरी बन्दे..!!टेक!!
अपणा आपा भुल गया तूँ , विषयों के वश होकै,
मोह – माया के मद्द मे टूलै, जीवन नै मानै खोकै,
काटैगा जिसे जागा बोकै , धर्म की खड्ग क्यूं गेरी बन्दे..!!१!!
निंदा चुगली झूठ कपट मे, लगाता है ध्यान तूँ
न्यू करदू मै न्यू करदू , नित बकता मूर्ख नादान तूँ
पुण्य पाप को पहचान तूँ , ना कर समझण की देरी बन्दे..!!२!!
मौका लिकड़े पाछै समय , हाथ नहीं आवैगा,
फेर बहोड़ कै , के बेरा कद मानव तन थ्यावैगा,
लाख चौरासी फिरे जावैगा, लगै काल की घेरी बंदे..!!३!!
कपीन्द्र शर्मा गुरु जी कहते , एक राम नाम सच्चा सै
भजन करै मनजीत उसका , जिसनै जगत रच्या सै
मेरा गाम पहासौर घणा अच्छा सै, जन्मभूमि जो मेरी बन्दे ..!!४!!
रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 9467354911