2797. *पूर्णिका*
2797. पूर्णिका
अंधेरे में तीर चलाया न करो
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अंधेरे में तीर चलाया न करो।
बेवजह सिर अपना कटाया न करो ।।
दुनिया देखो जालिम है बहुत यहाँ।
अपने दिल की बात बताया न करो ।।
चाहत अपनी उतरे चाँद जमीं पर।
वक्त है यूं ही तुम गंवाया न करो।।
तोड़ उसूल जमाना देखे हरदम।
मंजिल अपनी नजर हटाया न करो ।।
रखते टीस नहीं हम खेदू मन में ।
अपने ही घर आग लगाया न करो ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
06-12-2023बुधवार