2777. *पूर्णिका*
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2777. पूर्णिका
निभाते कौन फर्ज यहाँ
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निभाते कौन फर्ज यहाँ ।
पटाते कौन कर्ज यहाँ ।।
लिखा इतिहास पढ़े हम ।
कराते कौन दर्ज यहाँ ।।
लगी चोट जरा देखो ।
मिटाते कौन मर्ज यहाँ ।।
समझते बुझते सब कुछ ।
बताते कौन तर्ज यहाँ ।।
नसीब बदलते खेदू।
लगाते कौन अर्ज यहाँ ।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
01-12-2023शुक्रवार