2774. *पूर्णिका*
2774. पूर्णिका
झुकता है आसमां झुकाने वाला चाहिए
22 2212 122 22 212
झुकता है आसमां झुकाने वाला चाहिए ।
मिलती है राह भी दिखाने वाला चाहिए ।।
बगियां यूं महकती हरदम जहाँ मिलती खुशी।
सजती है जिंदगी सजाने वाला चाहिए ।।
दुनिया की बात है निराली खुशियाँ रंगते।
खुशियों का रंग भी लगाने वाला चाहिए ।
आकर इंसान हाथ अपना यूं ही थाम ले ।
बन जाते हैं रिश्तें निभाने वाला चाहिए ।।
मौसम भी बदलते यहाँ खेदू संभलते ।
दिल में है राज क्या बताने वाला चाहिए ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
29-11-2023बुधवार