2763. *पूर्णिका*
2763. पूर्णिका
दुश्मन यहाँ मित्र की तरह
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दुश्मन यहाँ मित्र की तरह ।
महके बस इत्र की तरह ।।
ये दुनिया रंगीन है ।
जीवन भी चित्र की तरह ।।
रोज कहानी कैसे लिखे।
है सोच विचित्र की तरह ।।
बढ़ते समर्पण त्याग रख ।
इंसान चरित्र की तरह ।।
खुशियाँ खेदू बांटते।
अरमान सचित्र की तरह ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
25-11-2023शनिवार