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4 Sep 2024 · 1 min read

आज,

आज,
तुम्हें कुछ कह जाना चाहता हूँ
डूब कर तेरी आँखों की
गहराईयों में..
ख़ामोशी से कुछ कह जाना चाहता हूँ
बिखर जाना चाहता हूँ
हवाओं में
तेरी साँसों की खुशबु में जज़्ब हो कर
टूट जाना चाहता हूँ
तेरी मरमरी बाहों में आज
जिन्दगी ढल रही है
हर गुज़रती शाम के साथ
कह जाना चाहता हूँ तुम्हें
बरसों से जो जम गए थे
मेरे जज़्बात….!!!!

हिमांशु Kulshrestha

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