Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2024 · 1 min read

“चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है ll

“चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है ll
संस्कारों की शालीनता मैली हुई है ll

प्रेम जिस्म से आगे बढ़ता ही नहीं,
इंसानी मानसिकता विषैली हुई है ll

उन लड़के-लड़कियों को बिलकुल अनाथ मानता हूं मैं,
मां-बाप के होते हुए अश्लील जिनकी जीवनशैली हुई है ll

संपन्न घर की औरतें यहां पर सबसे आगे हैं,
मुजरा करने की कोठी उनकी हवेली हुई है ll

स्वतंत्रता को शर्मोंहया के साथ रहना चाहिए,
मगर, स्वतंत्रता अश्लीलता की सहेली हुई है ll”

112 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
Rj Anand Prajapati
जीवन ज्योति
जीवन ज्योति
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*अपराध बोध*
*अपराध बोध*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
*माँ : दस दोहे*
*माँ : दस दोहे*
Ravi Prakash
हिंदी दोहे- कलंक
हिंदी दोहे- कलंक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
BJ88 - Nhà cái
BJ88 - Nhà cái
BJ88 - Nhà cái
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
सबक
सबक
अरशद रसूल बदायूंनी
बस तेरे होने से ही मुझमें नूर है,
बस तेरे होने से ही मुझमें नूर है,
Kanchan Alok Malu
तुम्हें संसार में लाने के लिए एक नारी को,
तुम्हें संसार में लाने के लिए एक नारी को,
शेखर सिंह
दुखड़े   छुपाकर  आ  गया।
दुखड़े छुपाकर आ गया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जरूरत उसे भी थी
जरूरत उसे भी थी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
4552.*पूर्णिका*
4552.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ
माँ
Pushpa Tiwari
जिंदगी खेल हरपल है,
जिंदगी खेल हरपल है,
श्याम सांवरा
सम्मान पाने के लिए सम्मान देना पड़ता है,
सम्मान पाने के लिए सम्मान देना पड़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
तुम वही हो
तुम वही हो
ललकार भारद्वाज
मोहब्बत क्या है .......
मोहब्बत क्या है .......
sushil sarna
बसंत के रंग
बसंत के रंग
Shutisha Rajput
पारितन्त्र
पारितन्त्र
Madhuri mahakash
जो लोग टूट जाते हैं किसी से दिल लगाने से,
जो लोग टूट जाते हैं किसी से दिल लगाने से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय प्रभात*
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मैं और वो
मैं और वो
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्रीत
प्रीत
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
" कोपर "
Dr. Kishan tandon kranti
असल आईना
असल आईना
सिद्धार्थ गोरखपुरी
काहे की विजयदशमी
काहे की विजयदशमी
Satish Srijan
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
Loading...