2740. *पूर्णिका*
2740. पूर्णिका
बस कुछ जरूरत होती है
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बस कुछ जरूरत होती है।
ना कुछ मुहरत होती है ।।
दिल भी जीते काम यहाँ ।
जग में शोहरत होती है ।।
राज छुपा जाते कोई।
सुंदर इशरत होती है ।।
कहते हैं अलग कहानी।
अपनी नुसरत होती है ।।
हाथों में दुनिया खेदू।
बदली फितरत होती है ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-11-2023रविवार