जिसके हृदय में जीवों के प्रति दया है,
Shankarlal Dwivedi reciting his verses in a Kavi sammelan.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
जीवन में कुछ बचे या न बचे
"बेचारी की फ़ितरत में, राग़ नहीं है ग़म वाला।
परेशान देख भी चुपचाप रह लेती है
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,