हम और आप ऐसे यहां मिल रहें हैं,
मेरे ताल्लुकात अब दुश्मनों से है खुशगवार
यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें
ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
Love Is The Reason Behind
*सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान (गीत)*
Tum meri kalam ka lekh nahi ,
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
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