शुक्र है, मेरी इज्जत बच गई
छुट्टी का इतवार नहीं है (गीत)
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
मेरे जीतने के बाद बहुत आएंगे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हम सब भी फूलों की तरह कितने बे - बस होते हैं ,