फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,
इसमें हमारा जाता भी क्या है
*सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं【हिंदी गजल/गी
तेरी गोरी चमड़ी काली, मेरी काली गोरी है।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
बुजुर्गो को हल्के में लेना छोड़ दें वो तो आपकी आँखों की भाषा
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)