💞 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त 💞
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
कोई दुनिया में कहीं भी मेरा, नहीं लगता
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
बुंदेली चौकड़िया-पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़ज़ल–मेरा घराना ढूंढता है
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
*आओ पौधा एक लगाऍं (बाल कविता)*
उफ़ ये गहराइयों के अंदर भी,
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
किया जाता नहीं रुसवा किसी को