सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
उदास आंखों का नूर ( पिता की तलाश में प्रतीक्षा रत पुत्री )
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*जिनसे दूर नहान, सभी का है अभिनंदन (हास्य कुंडलिया)*
क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
देखि बांसुरी को अधरों पर
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )