ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा...
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
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कहने का मौका तो दिया था तुने मगर
हिंदी दोहे - हर्ष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अगर आपको सरकार के कार्य दिखाई नहीं दे रहे हैं तो हमसे सम्पर्
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
यदि मुझे काजल लगाना पड़े तुम्हारे लिए, बालों और चेहरे पर लगा
*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
गम भुलाने के और भी तरीके रखे हैं मैंने जहन में,
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!