ग़ज़ल _ गुलाबों की खुशबू सा महका करेगें।
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पतोहन के साथे करें ली खेल
दूर होकर भी मुहब्बत का असर रक्खा है ,
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
Affection couldn't be found in shallow spaces.
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
@@ पंजाब मेरा @@
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
#भूली बिसरी यादे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
गीत- चले आओ मिले तुमसे...