भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !
सेर
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
जुमर-ए-अहबाब के बीच तेरा किस्सा यूं छिड़ गया,
उस स्त्री के प्रेम में मत पड़ना
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
*गाता गाथा राम की, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
*** सैर आसमान की....! ***
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
इश्क की वो इक निशानी दे गया
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा