अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
(कहानीकार) "मुंशी प्रेमचंद"
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
⛪🕌🕍🛕🕋 तू ही मिल जाए मुझे बस इतना ही काफी है, मेरी हर साँस ने बस ये ही दुआ माँगी है, जाने क्यूँ दिल खिंचा जाता है तेरी तरफ, क्या तूने भी मुझे पाने की दुआ माँगी है। ⛪🕌🕍🛕🕋
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आइये - ज़रा कल की बात करें
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
जूझ रहा था तालाब पानी के अभाव में।