तेवरी आन्दोलन की साहित्यिक यात्रा *अनिल अनल
*पुरस्कार तो हम भी पाते (हिंदी गजल)*
मुझसे न पूछ दिल में तेरा क्या मुक़ाम है ,
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
पता नहीं लोग क्यूँ अपने वादे से मुकर जाते है.....
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।