*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
जब हम स्पष्ट जीवन जीते हैं फिर हमें लाभ हानि के परवाह किए बि
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)