सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
जो सोचते हैं अलग दुनिया से,जिनके अलग काम होते हैं,
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
बुंदेली दोहा-पीपर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'