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लोग कहते हैं मैं कड़वी जबान रखता हूँ
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
भीगते हैं फिर एक बार चलकर बारिश के पानी में
नमन नमन वसुंधरा नमन नमन तुझे वतन
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम ह
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
वो तो नाराजगी से डरते हैं।