व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में होती है पर
*तू नहीं , तो थी तेरी याद सही*
Never settle for less than you deserve.
सुनो! बहुत मुहब्बत करते हो तुम मुझसे,
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
चलो, इतना तो पता चला कि "देशी कुबेर काला धन बांटते हैं। वो भ
उम्र तो गुजर जाती है..... मगर साहेब
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
रिसाय के उमर ह , मनाए के जनम तक होना चाहि ।
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हिंदी दोहे- पौधारोपण
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'