यूँ भी होता है,अगर दिल में ख़लिश आ जाए,,
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
पसंद तो आ गई तस्वीर, यह आपकी हमको
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
बचपन में लिखते थे तो शब्द नहीं
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
ज़िंदगी सौंप दी है यूं हमने तेरे हवाले,
*जश्न अपना और पराया*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
Tuning fork's vibration is a perfect monotone right?
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता