"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
दिसम्बर माह और यह कविता...😊
युद्ध घोष
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
तुम मुझे भूल जाओ यह लाजिमी हैं ।
मैया का जगराता- भजन- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
भारत की गौरवशाली परंपरा का गुणगान लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
हिंदी हाइकु
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
जो संतुष्टि का दास बना, जीवन की संपूर्णता को पायेगा।