जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
अरविंद पासवान की कविताओं में दलित अनुभूति// आनंद प्रवीण
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...
नगीने कीमती भी आंसुओं जैसे बिखर जाते ,
प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
सादगी तो हमारी जरा……देखिए
"जगह-जगह पर भीड हो रही है ll
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
#मातृभाषा हिंदी #मातृभाषा की दशा और दिशा
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कभी-कभी मुझे यूं ख़ुद से जलन होने लगती है,
*आई भादों अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात (कुंडलिया)*