मौजूदा ये साल मयस्ससर हो जाए
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*गीता में केशव बतलाते, यह तथ्य नहीं आत्मा मरती (राधेश्यामी छ
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
समय न मिलना यें तो बस एक बहाना है
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
बहुत ढूंढा बाजार में यूं कुछ अच्छा ले आएं,
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
ये इश्क भी जुनून हैं,मुकाम पाने का ।
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
ग़ज़ल _ मंज़िलों की हर ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।