दिल की आवाज़ सुन लिया करिए,
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नफरतों के जहां में मोहब्बत के फूल उगाकर तो देखो
फिसलती रही रेत सी यह जवानी
"समाज विरोधी कृत्य कर रहे हैं ll
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
शिल्प के आदिदेव विश्वकर्मा भगवान
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल