आशुतोष शंकर अविनाशी, तुम पर जग बलिहारी
*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किला परिसर में योग कार्यक्रम*
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
जब अकेले ही चलना है तो घबराना कैसा
एक समझदार मां रोते हुए बच्चे को चुप करवाने के लिए प्रकृति के
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।