कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
ठीक हुआ जो बिक गए सैनिक मुट्ठी भर दीनारों में
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
ज़िन्दगी कुछ नहीं हक़ीक़त में,
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
तारीफों में इतने मगरूर हो गए थे
फ़ूल भी फूलों से कहते हैं।
इस दुनिया में सबसे बड़ा और अच्छा इंसान वही है जो गरीब को गरी
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी