2601.पूर्णिका
2601.पूर्णिका
🌷मंजिल यूं मिलती नहीं 🌷
22 22 212
मंजिल यूं मिलती नहीं ।
कलियाँ यूं खिलती नहीं ।।
हासिल क्या बिन मेहनत ।
दुनिया यूं हिलती नहीं ।।
साथ चले हरदम बढ़े ।
सच कोई गिनती नहीं ।।
ख्वाबों का ये शहर है ।
कब चाह मचलती नहीं ।।
महके खेदू जिंदगी ।
रख शान बदलती नहीं ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-10-2023गुरू वार