"भाग्य से जीतनी ज्यादा उम्मीद करोगे,
इम्तहान दे कर थक गया , मैं इस जमाने को ,
■ अभी क्या बिगड़ा है जी! बेटी बाप के घर ही है।।😊
Dr. Arun Kumar Shastri - Ek Abodh Balak - Arun Atript
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
किसने कहा, आसान था हमारे 'हम' से 'तेरा' और 'मेरा' हो जाना
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
*निकला है चाँद द्वार मेरे*