रिश्ते सभी सिमटते जा रहे है,
जो सोचूँ मेरा अल्लाह वो ही पूरा कर देता है.......
यह बात शायद हमें उतनी भी नहीं चौंकाती,
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
दोहे-मुट्ठी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रमेशराज के विरोधरस के गीत
दिल लगाया है जहाॅं दिमाग न लगाया कर
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
आगोश में रह कर भी पराया रहा
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा