अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में.....)
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
कौन्तय
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
वीरांगना लक्ष्मीबाई
Anamika Tiwari 'annpurna '
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
तेरी सुंदरता पर कोई कविता लिखते हैं।
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
आओ मिलकर सुनाते हैं एक दूसरे को एक दूसरे की कहानी
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
टुकड़ों-टुकड़ों में बॅंटी है दोस्ती...