मैंने एक दिन खुद से सवाल किया —
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
🥗फीका 💦 त्योहार 💥 (नाट्य रूपांतरण)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
*कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो*
24/252. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
आफताब भी ख़ूब जलने लगा है,
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
मित्रो नमस्कार!
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
शहर में ताजा हवा कहां आती है।
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
हम दिल में मोहब्बत और सीने में कुरान रखते हैं ।
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