*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
यूं उन लोगों ने न जाने क्या क्या कहानी बनाई,
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए..
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आस बची है थोड़ी, पूरा निराश नही हुँ ,
कॉमेडी किंग- चार्ली चैपलिन
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चमचे भी तुम्हारे हैं फटेहाल हो गए
गहरी नदिया नांव पुराने कौन है खेवनहार
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
छूकर आसमान फिर जमीन पर लौट आएंगे हम
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
होली मुबारक
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD