* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
जिस कदर उम्र का आना जाना है
Humanism : A Philosophy Celebrating Human Dignity
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
अश्लीलता - गंदगी - रील
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
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अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
सफर पर चला था इस भ्रम में कि सभी साथ होंगे वक्त बेवक्त मेरे
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
टुकड़ों-टुकड़ों में बॅंटी है दोस्ती...
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
देख लूँ गौर से अपना ये शहर