तेरा फरेब पहचानता हूं मैं
*'नए क्षितिज' का दोहा विशेषांक*
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
रूप मधुर ऋतुराज का, अंग माधवी - गंध।
मां🙇🥺❤️
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
तेरा लहज़ा बदल गया इतने ही दिनों में ....
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
जिंदगी का यह दौर भी निराला है