इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
जिंदगी के तूफानों में हर पल चिराग लिए फिरता हूॅ॑