जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया।
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
మనిషి ఓ మరమనిషి తెలుసుకో ఈ ప్రపంచపది..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"श्री शक्ति साधना साहित्य सम्मान" से रूपेश को नवाज़ा गया'
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
क्यों है अहम तुमको खुद पर इतना
अर्चना की कुंडलियां भाग 2