मेरे कमरे में बिखरे हुए ख़त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
फिर तुम्हारी आरिज़ों पे जुल्फ़ याद आई,
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
Don't break a bird's wings and then tell it to fly.
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
मैं बंजारा बन जाऊं
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
यूं हज़ार बहाने हैं तुझसे बात करने को ऐ ज़िंदगी!
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।