*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
आलस करोगे, अंगड़ाई मिलेगी....
- दिल में बसाया था तुझे -
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
"जिनके कार्य क्षेत्र में कुछ नहीं रहता,
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,