2524.पूर्णिका
2524.पूर्णिका
🌹यूं हरदम बांछे खिल जाती है 🌹
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यूं हरदम बांछे खिल जाती है ।
सांसो से सांसे मिल जाती है ।।
भाती है डगर यहाँ पनघट की ।
मंजिल की राहें मिल जाती है ।।
बन जाते ताज जिगर का टुकड़ा ।
सुंदर सौगातें मिल जाती है ।।
पूनम का चाँद चमकता रहता।
हंसी जब रातें मिल जाती है ।।
होती खुशियों की बारिश खेदू ।
मनचाह मुरादें मिल जाती है ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
30-9-2023शनिवार