*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
"कोशिशो के भी सपने होते हैं"
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
बहर के परे
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
Kabhi kitabe pass hoti hai
भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
ख्वाहिशें के पूरा होने की जद में उम्र-एं-रवां है,
टीस
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी